India Budget 2024-25 : Budget 2024-25 में पेट्रोल-डीजल 25 रुपये लीटर सस्ता होने की संभावना,देखे पूरी खबर

India Budget 2024-25 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को देश के प्रमुख ऊर्जा विशेषज्ञों से मुलाकात करने वाली हैं। Budget पूर्व इस मुलाकात में वित्त मंत्री प्रमुख क्षेत्र के विशेषज्ञों से मिलकर क्षेत्र की समस्याओं को समझने और उसके अनुसार क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख उपायों पर चर्चा कर सकती हैं।

हाल ही में इस तरह के समाचार मीडिया में सुर्खियों में बने हुए थे कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को भी GST के दायरे में ला सकती है और इसके बाद पेट्रोल और डीजल के कीमतों में 20 से 25 रुपये प्रति लीटर की कमी आ सकती है। यदि ऐसा होता है तो उपभोक्ताओं के लिए यह बहुत बड़ी छूट होगी। इससे महंगाई से जूझ रहे लोगों को राहत मिलेगी और आवश्यक वस्तुओं की परिवहन लागत में भी कमी आएगी। यानी यदि Petrol और Diesel के मूल्य में कमी आती है तो इसका व्यापक असर पड़ेगा और इसके कारण महंगाई दर को कंट्रोल करने में भी मदद मिलेगी। लेकिन क्या ऐसा होगा?

India Budget 2024-25

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को देश के प्रमुख ऊर्जा विशेषज्ञों से मुलाकात करने वाली हैं। बजट पूर्व इस मुलाकात में वित्त मंत्री प्रमुख क्षेत्र के विशेषज्ञों से मिलकर क्षेत्र की समस्याओं को समझने और उसके अनुसार क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख उपायों पर चर्चा कर सकती हैं। माना जाता है कि केंद्र सरकार विशेषज्ञों से मिले सुझावों का उपयोग बजट बनाने के लिए करती है। क्योंकि संसद के 22 जुलाई (संभावित) से शुरू होने वाले सत्र में सरकार बजट पेश करने वाली है, इसलिए विशेषज्ञों से हो रही इस मुलाकात का विशेष अर्थ निकाला जा रहा है। 

इस मुलाकात के बीच सबसे बड़ी चर्चा यही है कि क्या केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने जा रही है? GST में किसी भी वस्तु पर अधिकतम 28 फीसदी का Tax लगाया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो Petrol और Diesel की कीमत में 25 से 30 रुपये प्रति लीटर की कमी आ सकती है और उपभोक्ताओं को यह 75 रुपये प्रति लीटर के आसपास मिल सकता है। 

India Budget 2024-25 से बड़े सुधारों की आवश्यकता

India Budget 2024-25 : ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि देश में ऊर्जा के क्षेत्र में इस समय बड़े सुधार की आवश्यकता है। यदि उपभोक्ताओं को सस्ता पेट्रोल उपलब्ध कराना है, तो सरकार को इन उत्पादों को GST के दायरे में लाना चाहिए। कई सरकारी कंपनियों का निजीकरण कर देना चाहिए, जिससे इस क्षेत्र में काम कर रहीं कंपनियों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा उत्पन्न हो और इसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिल सके। टेलीकॉम के क्षेत्र में सरकार की दखल कम करने का लाभ सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को मिला है और आज भारत में पूरी दुनिया में सबसे सस्ती मोबाइल सेवाएं प्राप्त की जा रही हैं। ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इसी तरह की व्यवस्था पेट्रोल उत्पादन के क्षेत्र में भी किया जा सके तो उपभोक्ताओं को भारी लाभ पहुंचाया जा सकेगा। 

ऊर्जा के क्षेत्र में इस समय देश के पांच बड़े मंत्रालय काम करते हैं। इसमें पेट्रोलियम, सौर ऊर्जा और हाइड्रोजन जैसी नवीकरणीय ऊर्जा के मंत्रालय शामिल हैं। सरकार के पास इन सभी मंत्रालयों से समन्वय स्थापित करते हुए एक बेहतर नीति बनाकर ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मिर्भरता हासिल करने की बड़ी चुनौती है। पेट्रोलियम उत्पादों के लिए लगभग पूरी तरह आयात पर निर्भर सरकार नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देकर अपना आयात बिल कम कर सकती है। लेकिन इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल करने तक उसे पेट्रोलियम उत्पादों को सस्ती बनाने के विभिन्न उपायों को अपनाना चाहिए। 

सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन, नाभिकीय ऊर्जा और लिथियम के बढ़ावा देने के मामले में देश की सभी विशेषज्ञों में आपसी सहमति है। कोयला क्षेत्र के संदर्भ में भी सभी विद्वान इस बात पर एकमत हैं कि भविष्य का ऊर्जा स्रोत भले ही नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित होगा, लेकिन वर्तमान में देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए देश को कोयला पर आधारित ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना पड़ेगा। यही कारण है कि कोयले के उत्पादन और उपयोग पर अभी भी पाबंदी लगने की कोई संभावना नहीं है। 

India Budget 2024-25

लेकिन जहां तक पेट्रोल उत्पादों की बात है, ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि पेट्रोलियम उत्पादों के संदर्भ में सरकार को कंपनियों को व्यापार करने की खुली छूट देने पर आगे बढ़ना चाहिए। इसमें एचपीसीएल और बीपीसीएल जैसी कंपनियों को सरकार को निजी कर देना चाहिए। ऊर्जा क्षेत्र में विभिन्न कंपनियों को उनके कामकाज के हिसाब से अप स्ट्रीम, मिडस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में बांटा जाता है। सरकार को ऊर्जा क्षेत्र की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इन सभी क्षेत्रों में एक-दो प्रमुख कंपनियों को अपने नियंत्रण में रखना चाहिए, जिससे किसी आपातकालीन अवस्था में सरकार ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा सके और उपभोक्ताओं को किसी खतरे में पड़ने से बचा सके। लेकिन शेष कंपनियों को पूरी तरह निजी कर देना चाहिए। इन्हें पूरी तरह से बाजार की नीतियों और उतार-चढ़ाव के अनुकूल अपने आप को चलने के लिए स्वतंत्र कर देना चाहिए। इस व्यवस्था में यदि उपभोक्ताओं को एक-दो रुपये प्रति लीटर की भी बचत होती है, तो यह बड़ी बचत होगी। 

विपक्ष का विरोध

हालांकि इसके बाद भी ऐसा हो पाएगा, यह कहना बहुत कठिन है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकार इस समय संसद में इतनी मजबूत स्थिति में नहीं है कि वह अपने तौर पर इतना बड़ा कदम उठा सके। यदि Government पेट्रोलियम उत्पादों के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के निजीकरण की तरफ कदम उठाती है, तो उसे विपक्ष का बहुत कड़ा विरोध झेलना पड़ सकता है। विपक्ष पहले से ही यह आरोप लगाता रहा है कि केंद्र सरकार देश का निजीकरण करके प्रमुख उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाना चाहती है। 

केंद्र की आर्थिक बाध्यता

सबसे बड़ी बात यह है कि स्वयं केंद्र भी GST के दायरे में पेट्रोलियम उत्पादों को लाने के लिए सहमत नहीं होगा। इसका राजनीतिक कारण होने के साथ-साथ आर्थिक पहलू भी बहुत महत्वपूर्ण है। केंद्र सरकार मतदाताओं के बीच अपनी पैठ मजबूत करने के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर ही आश्रित रही है। 2019 की चुनावी सफलता में उसकी कल्याणकारी योजनाओं की बड़ी भूमिका रही थी। इस बार लोकसभा चुनाव में मात खाने के बाद केंद्र सरकार एक बार फिर कल्याणकारी योजनाओं पर ही भरोसा जताना चाहती है। 

इसके लिए चार करोड़ प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान योजना, एक करोड़ लखपति दीदियां, मनरेगा योजना, एक करोड़ घरों में पीएम सूर्य योजना और पीएम विश्वकर्मा योजनाओं के जरिए भारी निवेश करने की तैयारी है। इसी तरह की अनेक योजनाएं लागू कर केंद्र सरकार मतदाताओं को लुभाना चाहती है। इसके लिए उसे पैसों की भारी दरकार होगी, जिससे वह अपनी आय में कटौती नहीं करना चाहेगी। यही कारण है कि ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार के पास इस समय पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में लाने का कोई विकल्प नहीं है। यानी फिलहाल उपभोक्ताओं को सस्ते पेट्रोल मिलने की कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

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